*गोली से जख्मी होने के बाद भी अंग्रेजी मजिस्ट्रेट मुनरो के सामने नहीं मांगी माफी, 5 वर्ष जेल में सही यातनाएं*
गाजीपुर: शेरपुर के युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई थी, सबसे अधिक शहादत देने वाले शेरपुर का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। इसी मिट्टी में जन्मे जज्बाती छात्र जमुना गिरि का जिक्र किए बगैर स्वतंत्रता आंदोलन अधूरा लगता है, अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति यमुना गिरि का साहस और बहादुरी क्षेत्र के युवाओं में स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति समर्पण की भावना को कूट-कूट कर भर दिया था। महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरित होकर वह छात्र जीवन में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी से प्रेरित शेरपुर के 8 युवाओं ने 18 अगस्त 1942 को तहसील मुख्यालय पर तिरंगा फहराने के दौरान देश की आन बान और शान के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। शेरपुर कला निवासी जमुना गिरि गाजीपुर शहर स्थित सिटी हाईस्कूल में पढ़ते थे, सन 1942 में 11 अगस्त को जिला मुख्यालय के सिटी हाईस्कूल, डीएवी तथा विक्टोरिया गवर्नमेंट स्कूल के छात्रों को एकत्रित कर स्वतंत्रता आंदोलन की हुंकार भरी तथा उन्हें प्रेरित कर अगले दिन 12 अगस्त को इन तीनों विद्यालयों में हड़ताल करा दिया, इसके बाद उसके अगले दिन 14 अगस्त 1942 को अपने साथियों को लेकर गौसपुर हवाई अड्डे पर धावा बोल दिया और वहां बनाए गए आवासों व झोपड़ियों को फूक दिया, इस दौरान अंग्रेज सिपाहियों ने उन पर फायरिंग की जिससे वे घायल होकर गिर पड़े और उनको बेहोसी की हालत में कैद कर लिया गया, फायरिंग में इनके सहयोगी चांदपुर के बिसुनि राय को भी गोली लगी थी। अगले दिन जमुना गिरि को अंग्रेज मजिस्ट्रेट मुनरो के सामने पेश किया गया और कहां गया कि अगर माफी मांग लोगे तो तुम्हें छोड़ दिया जाएगा, काफी दबाव के बाद भी जमुना गिरि ने माफी नहीं मांगी, इसके बाद उन्हें 5 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए जिला जेल में डाल दिया गया इसके बाद अंग्रेज अधिकारियों ने जमुना गिरि को 5 फरवरी 1946 को जिला जेल से स्थानांतरित कर सीतापुर जेल में भेज दिया। 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद होने के उपरांत आजाद भारत में भारत मां के इस वीर सपूत को पुलिस विभाग में उप निरीक्षक के पद पर तैनात कर दिया गया। स्वतंत्र भारत में पुलिस उप निरीक्षक पद पर पूरी निष्ठा के साथ कार्य करते हुए 6 जून 1969 को उन्होंने अंतिम सांस ली। 18 अगस्त 1942 के दिन तहसील मुख्यालय जाते हुए शेरपुर युवाओं द्वारा लगाए जाने वाले नारे इंकलाब जिंदाबाद, अंग्रेजों भारत छोड़ो तथा इन सभी नारों में से एक प्रमुख नारा यह भी था जमुना गिरि का बदला लेकर रहेंगे ......लेकर रहेंगे, इन नारों के साथ ही डॉक्टर शिवपूजन राय के नेतृत्व में शेरपुर के 8 क्रांतिकारी नौजवान मोहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा फहराते हुए अंग्रेजी गोलियों से शहीद हो गए।