Ghazipur अक्षय फल देती है कार्तिक नवमी, आंवले के वृक्ष के पूजन से मिलता है पुण्यफल-फलाहारी बाबा



Ghazipur अक्षय फल देती है कार्तिक नवमी, आंवले के वृक्ष के पूजन से मिलता है पुण्यफल-फलाहारी बाबा 

अक्षय फल देने वाली कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि बुधवार को अक्षय नवमीं मनाई जा रही है। इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांडक नामक दैत्य का वध किया था। सतयुग का आरंभ भी आज के दिन से ही माना जाता है।अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु को अति प्रिय आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है।

इस तरह करें आंवला वृक्ष का पूजन-फलाहारी बाबा

अयोध्या वासी महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवरामदास जी उपाख्य फलाहारी बाबा कहते हैं कि अक्षय नवमी के दिन प्रात:काल स्नान करने के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर उन्मुख होकर षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। ओम धात्र्यै नम: मंत्र का जाप करते हुए आंवला वृक्ष की जड़ में दूध अर्पित करें। वृक्ष के चारों और कच्चा सूत लपेटकर कपूर से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करें। श्रीहरि से आरोग्य और मंगल की कामना करें।आज के दिन पंडितों को भोजन व दान देने का भी विशेष फल मिलता है।आज के दिन किये गये पुण्य का क्षय नहीं होता है।आज के दिन आंवले के बृक्ष के नीचे भोजन ग्रहण करना भी फलदायक है।

आंवले के पेड़ में देवों का वास-फलाहारी बाबा

ग्रंथों के मुताबिक आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है। पद्मपुराण के मुताबिक आंवले का वृक्ष विष्णु प्रिय है। इसे छूने से दोगुना व प्रसाद स्वरूप आंवले का फल खाने से तीन गुना फल मिलता है।

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